पंजाब में 30 दिनों के भीतर नई खनन नीति बनेगी
बैठक के दौरान अवैध खनन रोकने के लिये अन्य कठोर कदम उठाने का फैसला
चंडीगढ़,
राज्य
में रेत एवं बकारी के माफिया विरूद्ध नकेल डालने के आदेश के बाद, पंजाब के
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को भरोसा दिलाया कि सरकार
द्वारा अवैध खनन विरूद्ध आरंभ कार्रवाई के कारण रेत एवं बकारी की हाल ही
में बढ़ी कीमतों आगामी कु छ दिनों में और वैध खनन आरंभ होने से कीमतों में
गिरावट आयेगी।
गत् बादल सरकार के दौरान पैर पसारने वाले
माइनिंग माफिये विरूद्ध कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने कठोर कार्रवाई को
अंजाम देते हुये नाजायज़ खनन रोकने के लिये विभिन्न कदम उठाये हैं। इसके
साथ आरज़ी तौर पर रेता-बजरी की कीमतों में बढ़ौतरी हुई। यहां तक कि जायज़
चल रही खननों में भी सावधानी वाले कदम के तौर पर अपना कार्य धीमा कर दिया।
आज
यहां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान मौजूदा स्थिति का
जायजा लिया गया। बैठक में अन्य के अतिरिक्त वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह
बादल, स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू तथा देहाती विकास मंत्री
तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा भी उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त बैठक में मुख्य
सचिव करन अवतार सिंह, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार,
अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश चन्द्रा, अनिरूद्ध तिवाड़ी (आई ए एस, पी एस आई
सी), रोशन सुंकारिया (आईएएस)और अमित ढाका (आईएएस/डीएम)भी उपस्थित थे।
बैठक
के दौरान औद्योगिक एवं वाणिज्य विभाग के डायरैक्टोरेट ऑफ माइनज़ के
अधिकारियों ने राज्य में माइनिंग की स्थित संबंधी प्रकाश डालते हुये विभाग
द्वारा अवैध खनन रोकने तथा आपूर्ति में सुधार लाने संबंधी उठाये जा रहे
कदमों की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को 30 दिनों के
भीतर पारदर्शी माइनिंग निति लाने के आदेश देते हुये इसकी जांच के लिये
उनको प्रारूप सौंपने के लिये कहा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक
प्रवक्ता ने बताया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह स्पष्ट किया कि कीमतों में
बढ़ौतरी आरज़ी है और जायज़ खननों के चालू होने से रेत-बज़री की कीमतें
नीचे आयेंगी।
प्रवक्ता ने बताया कि बैठक में रेत-बज़री की
सप्लाई में सुधार लाने के विभिन्न तरीकों संबंधी चर्चा की गई। इनमें वैध
खननों की संख्या बढ़ाने, खुदाई के लिये आधुनिक तकनीकों का प्रयोग तथा
नाज़ायज़ खनन को रोकने को विश्वसनीय बनाने के लिये नियमों को कठोरता से अमल
में लाना शामिल है। बैठक के दौरान इस सुझाव पर भी विचार किया गया कि रेत
निकालने के परमिट सिंचाई विभाग को दिये जायें जो आगे मार्किट में वाजि़ब
कीमतों पर रेत-बज़री की आपूर्ति करे।
बैठक के दौरान संबंधित
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि 59 खनने नीलामी के लिये तैयार हैं
जिसके लिये विभाग द्वारा इनका 15 दिनों वाला नीलामी नोटिस पहले ही जारी
किया जा चुका है। यह नीलामी 18 अप्रैल को होगी और अलॉटमैंट 20 अप्रैल को
जबकि 20 मई को खुदाई का कार्य आरंभ हो जायेगा। और 58 खननें जिनकी वातावरण
संबंधी स्वीकृति इस समय लंबित है, की 60 दिनों में नीलामी की संभावना है और
अगस्त के मध्य में चालू हो जायेंगी।
खननों की नीलामी में
पारदर्शिता को यकीनी बनाने के लिये बैठक में खुदाई के लिये आगामी योग्यता
की प्रक्रिया आरंभ करने संबंधी विचार किया गया। बैठक में नई खननों संबंधी
वातावरण स्वीकृति में तेजी लाने तथा बेहतर तालमेल सहित अन्य सुझावों पर भी
विचार किया गया। बैठक में यह भी बताया गया कि अवैध खुदाई को रोकने के लिये
पुलिस विभाग द्वारा एक एसपी स्तर का अधिकारी, दो डी एसपी स्तर के अधिकारी
मुहैया करवाये गये हैं। इन अधिकारियों को जांच करने के लिये जिले अलॉट किये
गये हैं।
अवैध खनन के लिये शिकायत करने हेतू पी बी -जी आर ए एम
एस पोर्टल के अतिरिक्त जिला स्तरीय मोबाइल एवं लैंड लाइन नंबरों की
हेल्पलाइन और ई-मेल आई डी भी बनाई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि अवैध
खनन को रोकने के लिये उठाये जा रहे कदमों का विवरण देते हुये बताया गया कि
आधुनिक तकनीकों के प्रयोग भी चोरी रोकने के लिये सहायक हो सकती हैं।
प्रवक्ता
ने बताया कि अवैध खनन करने वालों विरूद्ध कार्रवाई के दौरान जब्त किये
सामान को निम्न अदालतों द्वारा छोड़ देने संबंधी बैठक में फैसला लिया गया
कि गृह मामले एवं न्याय विभाग को अपील की जाये कि माइनिंग पर कानूनी
उपबंधों एवं दिशा निर्देशों की उल्लंघना के लिये अपराध की तेज़ तथा प्रभावी
कार्रवाई अमल में लाई जाये।
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मुख्यमंत्री दवा्रा रूके हुये प्रौजेक्टों का जायजा 15 दिनों में संपूर्ण करने के आदेश
फंड जारी करने के लिये अंतिम फैसला 30 अप्रैल तक
अनियमितताओं सबंधी संदेहपूर्ण केसों की होगी जांच
चंडीगढ़,
पंजाब
के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विभिन्न मंत्रीयों को अपने सबंधित
विभागों के रोके गये बुनिअदी ढांचा विकास प्रौजेक्टों के स्तर का जायजा
लेने और इस सबंधी रिपोर्ट आगामी दो सप्ताह में पेश करने के निर्देश दिये
हैं ताकि सरकार अप्रयोग फंडों को जारी करने के लिये अंतिम फैसला ले सके।
मुख्यमंत्री
ने अपने मंत्रीमंडल के सभी सदस्यों को समीक्षा प्रक्रिया संपूर्ण करने तथा
इन संबंधी रिपोर्टे 15 दिनों में उनके पास जमा करवाने के लिये कहा है।
मंत्रीयों द्वारा स्वीकृत किये प्रौजेक्ट पंजाब बुनियादी ढांचा विकास बोर्ड
(पी आई डी बी) की कार्यकारी कमेटी को आगामी कार्रवाई के लिये भेजे
जायेंगे। इसके साथ ही जिन मामलों में अनयिमताएं होने का संदेह होने की सूरत
में उनकी जांच करवाई जायेगी। यह समूची प्रक्रिया 30 अप्रैल तक संपूर्ण कर
ली जायेगी।
एक सरकारी प्रवक्ता अनुसार यह सभी निर्णय कैप्टन
अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई पंजाब बुनियादी ढांचा विकास बोर्ड की
समीक्षा बैठक के दौरान लिये गये। बैठक में अन्य के अतिरिक्त वित्त मंत्री
मनप्रीत सिंह बादल, स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू तथा देहाती
विकास मंत्री तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा भी उपस्थित थे। बैठक में मुख्य
सचिव करन अवतार सिंह, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार, पी आइ
डी बी के प्रबंधकीय निदेशक डी के तिवाड़ी के अतिरिक्त और भी उच्च अधिकारी
उपस्थित थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी
पहली मंत्रीमंडल बैठक के दौरान सभी विभागों को अप्रयोग फंड वापिस लेने और
उन लंबित पड़े प्रौजेक्टों का जायजा लेने का फैसला किया था जिनके लिये यह
फंड स्वीकृत किये गये थे। गत् सरकार अधीन पी आई डी बी द्वारा लगभग 6201.50
करोड़ रुपये के प्रौजेक्ट स्वीकृत किये थे, जोकि अब नई सरकार के जांच अधीन
हैं। प्रवक्ता अनुसार इन प्रौजेक्टों के लिये फंड संबंधित विभागों द्वारा
अभी जारी करने हैं। प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस संबंधी निर्णय समीक्षा
प्रक्रिया के संपूर्ण होने के बाद लिया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने
संबंधित विभागों को इन प्रौजेक्टों का प्राथमिकता के आधार पर जायजा लेने
तथा टैंडर देने की प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिये कहा है और यह पता
लगाने के लिये कहा है कि इनमें कोई अनियमितता हुई है या नही। प्रवक्ता
अनुसार कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंत्रीयों को कठोर निर्देश दिये हैं कि यदि
किसी मामले में अनियमितता पाई गई तो उस मामले में जांच के आदेश दिये जायें
तथा आरोपियों को कटघरे में खड़ा किया जाये।
मुख्यमंत्री ने
राज्य में विकास प्रौजेक्टों में तेजी लाने के लिये केंद्र द्वारा
प्रायोजित परियोजनाओं के उपलब्ध फंडों को संगठित करने की आवश्यकता पर बल
दिया।
प्रवक्ता अनुसार इन फंडों को वापिस लिया गया है और उन
संबंधी जायजा लंबित है। उनमें अर्बन मिशन (1267.67) करोड़ रुपये, ग्रामीण
मिशन (167.51) करोड़ रुपये, सीवरेज़ एवं जलापूर्ति अधीन अर्बन मिशन
(2555.19 करोड़ रुपये), सडक़ीय सैक्टर (369.48 करोड़ रुपये), देहाती
जलापूर्ति प्रौजेक्ट (242.10 करोड़ रुपये) और सी एस एस /नाबार्ड स्कीमों
आदि के फंड (381.06 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
अन्य प्रौजेक्टों
जिनके लिये फंड अभी जारी करने हैं उनमें सिंचाई (100.84 करोड़ रुपये) ,
पर्यटन (98.31 करोड़ रुपये), प्रशासकीय सुधार (39.45 करोड़ रुपये) और
उच्च/स्कूल शिक्षा (17.60 करोड़ रुपये) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त चल रहे
अन्य पुराने कार्यो में 928.06 करोड़ रुपये के प्रौजेक्ट शामिल हैं इनमें
बी आर टी एस तथा जमीन के बढ़े हुये मुआवज़े आदि के फंड भी शामिल हैं।
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