राजस्थान से आई टीम को पंजाब में घेरने को लेकर भी हुई खूब भागदौड़
कार्रवाई को अंजाम देकर श्रीगंगानगर आकर ही पीसीपीएनडीटी टीम ने लिया दम
श्रीगंगानगरऑपरेशन डिकॉय की एक कार्रवाई के तहत राजस्थान के पीसीपीएनडीटी की टीम सोमवार अपराह्न पंजाब के मुक्तसर शहर में एक एमडी डॉ. श्यामसुन्दर गोयल, उसके दो दलालों और एक नर्स को भ्रूण लिंग परीक्षण के आरोप में अपनी गिरफ्त में लेकर रवाना हुई, तो इस टीम को पंजाब में ही घेरने के लिए बहुतेरे प्रयास किये गये। यह टीम मुक्तसर से जब रवाना हुई, तो देर शाम श्रीगंगानगर आकर ही दम लिया। टीम को पंजाब में ही पकड़ लेने के लिए मुक्तसर के कतिपय प्रभावशाली व्यक्तियों ने वहां की पुलिस की मदद ली, लेकिन जब तक पुलिस इस टीम को मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर ट्रेस करती, तब तक यह टीम राजस्थान सीमा में प्रवेश कर चुकी थी। अगर यह टीम वहीं पकड़ में आ जाती, तो फिर अनेक अड़चने पैदा हो जातीें। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि यदि टीम की कार्रवाई चंद मिनट देर से होती तो भ्रूण जांच के बाद कथित गर्भपात करने वाली दो महिला डॉक्टर भी टीम के शिकंजे में फंस सकती थी।
सूत्रों का मानना है कि यदि उक्त कार्रवाई कर रवाना हुई टीम पंजाब में चंद देर रुक जाती तो संभवत: पकड़े गए लोगों को छुड़वा भी लिया जाता। पूर्व के ऐसे कटू अनुभवों को देखते हुए ही पीसीपीएनडीटी की टीम को ऑपरेशन डिकॉय की यह कार्रवाई बड़ी सावधानी-सतर्कता से करनी पड़ी। मुक्तसर में मलोट रोड पर डॉ. श्यामसुन्दर के सोनोग्राफी सेंटर पर छापा मारने से पहले पीसीपीएनडीटी टीम ने इसकी सूचना न तो मुक्तसर के स्थानीय थाने को दी और न ही सिविल सर्जन को भनक लगने दी। आनन-फानन में छापे की कार्रवाई करने के साथ चारों अभियुक्तों को दबोचकर इस टीम ने सोनोग्राफी की मशीन, अन्य दस्तावेज व उपकरण भी तुर्त-फुर्त में अपनी गाडिय़ों पर डाले और सीधे श्रीगंगानगर को रवाना हो गये। हासिल जानकारी के अनुसार दोपहर लगभग तीन बजे जब यह कार्रवाई हुई तो आसपास के लोगों को लगा कि डॉक्टर को बदमाशों ने किडनैप कर लिया है। टीम के सभी सदस्य सिविल कपड़ों में थे। उनकी गाडिय़ों पर कोई लाल बत्ती नहीं थी। जब तक आसपास के लोगों व डॉक्टरों के शुभचिंतकों को इस पूरे मामले की भनक लगती, तब तक यह टीम फाजिल्का जिले में लाधुका तक पहुंच चुकी थी। तब इन लोगों ने मुक्तसर के पुलिस अधिकारियों से संपर्क साधा तथा सेंटर के सामने लगे एक सीसी कैमरे की फुटेज देखी गई। तब पता चला कि यह तो भ्रूण लिंग परीक्षण के चलते छापा मारा गया है।
यह टीम जब श्रीगंगानगर आ रही थी, तब रास्ते में डॉक्टर गोयल का मोबाइल फोन ऑन था। इसी से पंजाब पुलिस को पता चला कि उनकी लोकेशन लाधुका के आसपास है। पुलिस इससे आगे पता लगाती, तब तक यह टीम श्रीगंगानगर में प्रवेश कर गई थी। टीम के सूत्रों का कहना है कि अगर पहले इस कार्रवाई के बारे में स्थानीय पुलिस या सिविल सर्जन को बता दिया जाता तो शायद यह कार्रवाई सफलतापूर्वक नहीं हो पाती। हालांकि मुक्तसर के जानकार लोगों ने बताया कि पिछले वर्ष हरियाणा की एक टीम ने ऐसी ही कार्रवाई की थी। तब बाकायदा इसकी सूचना स बन्धित थाने और सिविल सर्जन को दी गई थी। इस टीम को पूरा सहयोग मिला था। राजस्थान की टीम भी अगर ऐसा करती तो यह भ्रम की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
इस कार्रवाई के विरोध में मुक्तसर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सोमवार देर शाम को डॉ. श्यामसुन्दर के सोनोग्राफी सेंटर में भी तुर्त-फुर्त डॉक्टरों की हंगामी बैठक बुलाई गई। इसमें पीसीपीएनडीटी की इस कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताने के लिए हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया।
चारों को जेल भेजा
गिरफ्तार किये गये डॉ. श्यामसुन्दर गोयल, उनके दोनों दलालों तथा नर्स रीटा को पीसीपीएनडीटी की टीम ने मंगलवार को सादुलशहर में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया। डॉ. गोयल की ओर से अधिवक्ता अजय मेहता ने जमानत की अर्जी भी लगाई। बाकि तीन अभियुक्तों ने कोई जमानत अर्जी नहीं लगाई। मजिस्ट्रेट ने डॉ. गोयल की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिये। इसके बाद पीसीपीएनडीटी की टीम जयपुर लौट गई।
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