पर्यावरण संरक्षण को लेकर किया पौधारोपण
स्विट्जरलैंड से भारत में पर्यावरण संरक्षण और इससे सम्बद्ध अनुसंधान करने के लिए भारत आया ब्रुनो, बिश्रोई समाज के प्रवर्तक गुरू महाराज जम्भेश्वर की पर्यावरणीय संरक्षण शिक्षाओं और नियमावली से इस कद्र प्रभावित एवं अभिभूत हो गया कि उसने अपने नाम के साथ बिश्नोई को जोड़ लिया। वह अब ब्रुनो बिश्नोई बन गया है। ब्रुनो दो-तीन दिन से श्रीगंगानगर और साथ लगते अबोहर उपमण्डल में बिश्रोई समुदाय बाहुल्य गांवों के भ्रमण पर है। वह बिश्नोई समुदाय की जीवनशैली, समाज प्रवर्तक जम्भेश्वर महाराज की शिक्षाओं और पर्यावरण के संरक्षण के लिए बनाई गई 29 बिन्दुओं की नियमावली का अध्ययन कर रहा है। हासिल जानकारी के अनुसार ब्रुनो इस इलाके मेें अपने फेसबुक के दो मित्रों संजय बिश्रोई और रामकृष्ण बिश्रोई के आग्रह पर इस बरसाती मौसम में आया है। इस मौसम में ही पौधारोपण अभियान चलाये जाते हैं। बिश्नोई पंथ के प्रवर्तक जम्भेश्वर महाराज के दर्शन, शिक्षाओं और 29 धर्म नियमों से प्रभावित होकर ब्रुनो ने इस समाज की जीवनशैली को अपना लिया है। उन्होंने न केवल अपने नाम के साथ बिश्नोई शब्द को जोड़ा, बल्कि इस शब्द की परिभाषा व भावना को भी आत्मसात किया है।करीब 580 वर्ष पहले जम्भेश्वर महाराज द्वारा दिये गये उपदेशों से प्रभावित हुए ब्रुनो ने कहा कि इन्हीं आदर्शांे व नियमों पर चलकर पूरी दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों से बचाया जा सकता है। श्रीगंगानगर के नजदीक साधुवाली गांव के बिश्रोई मन्दिर में ब्रुनो ने आज पौधारोपण किया तथा हवन पूजन किया। इसके बाद ब्रुनो पंजाब के निकटवर्ती रामपुरा गांव में गये, जहां उनका फेसबुक मित्र योगेश पूनिया व गांव के अन्य मौजिज लोगों ने स्वागत किया। सरपंच सहित अनेक गणमान्य लोगों के साथ मिलकर पौधारोपण किया। वहीं पर ब्रुनो व अन्य लोगों ने अमृतादेवी पैनोरोमा का अवलोकन करते हुए पौधारोपण किया। सीतोगुनो के लिटल एंजिल स्कूल में ब्रुनो का छात्रों ने बैंड की मधुर स्वर लहरियों के साथ स्वागत किया। उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे अधिक से अधिक पौधे लगायें। यहीं पौधे पेड़ बनकर उनका संरक्षण करेंगे। स्कूल स्टाफ ने बताया कि यहां प्रत्येक बच्चे ने एक-एक पौधा लगाया है, जिसकी देखभाल भी वहीं करते हैं। सीतोगुनो की वैलफेयर गौशाला में हुए एक कार्यक्रम में ब्रुनो को सम्मानित किया गया। इस मौके पर ब्रुनो बिश्रोई ने कहा कि अगर पूरी दुनिया जम्भेश्वर महाराज के 29 नियमों को अपना ले तो न केवल पर्यावरण, बल्कि आतंकवाद, जातिवाद, नस्लवाद और ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न हुई अन्य समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। उन्होंने कहा कि अगर आपने प्रकृति को नुकसान पहुंचाया, तो प्रकृति भी आपको नुकसान पहुंचायेगी। इसलिए प्रकृति का संरक्षण करना हर नागरिक का कत्र्तव्य है। इसी में ही उसकी पर्यावरणीय सुरक्षा निहित है।
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