अभिनेता सोनू सूद और गुरमीत चौधरी ने देशभक्ति को बढ़ावा देने में सिनेमा की भूमिका पर डाली रौशनी
चंडीगढ़, 8 दिसंबर:
लोगों
और सशस्त्र बलों के बीच बेहतर संपर्क यकीनी बनाने के लिए शनिवार को
विभिन्न रक्षा विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के बड़े हित में जनता की
राय को बढ़ाने के लिए रक्षा मामलों में और अधिक खुलेपन की आवश्यकता पर बल
दिया।
उनका यह भी विचार था कि रक्षा बलों का कोई राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए, जिसका प्रचलन सिस्टम में धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
ये
विचार लेक क्लब में मिलिट्री लिट्रेचर फैस्टिवल-2018 के दूसरे दिन
प्रसिद्ध कॉलमनवीस वीर संघवी की उपस्थिति में ‘वैलर, हिस्ट्री, पोलिटिक्स
एंड मीडिया’ पर एक इंटरैक्टिव सैशन के दौरान विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त किए
गए। यह चर्चा मुख्य रूप से सशस्त्र बलों के साहसिक कारनामों को उजागर करने
में सिनेमा और मीडिया की भूमिका पर केंद्रित थी।
मौजूद
पैनालिस्टों में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एन एस बराड़, लेफ्टिनेंट
जनरल (सेवानिवृत्त) टी एस शेरगिल, यूके के ब्रिगेडियर जस्टिन मासीजेवेस्की,
एनडीटीवी चैनल की प्रमुख आरती सिंह के अलावा अभिनेता सोनू सूद और गुरमीत
चौधरी शामिल थे। ।
रक्षा
विशेषज्ञों ने भी आम जनता और सशस्त्र बलों के बीच सीधा संबंध स्थापित करने
की आवश्यकता पर बल दिया ताकि लोगों को सैन्य कर्मचारियों को आंतरिक और
बाहरी खतरों से हमारी सीमाओं की रक्षा में पेश आने वाली कठिनाइयों और उनकी
24&7 की कठोर प्रकृति वाली सेवा के बारे में पता चल सके।
लेफ्टिनेंट
जनरल (सेवानिवृत्त) टीएस शेरगिल ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि
मीडिया को सशस्त्र बलों के मनोबल को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभानी
चाहिए ताकि हमारे देश की अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए
अत्यंत पेशेवर प्रतिबद्धता की भावना से अपने कर्तव्यों को निभाने में
सुरक्षा बलों को सक्षम बनाया जा सके। उन्होंने 26/11 के मुंबई हमले का
हवाला दिया, जब मीडिया रीयल-टाइम प्रसारण कर रहा था, जिससे इसके जिम्मेदार
लोगों ने जवाबी कार्रवाई संबंधी अभियान के बारे में पता चला। उन्होंने
मीडिया को संयम के साथ अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रोत्साहित किया,
विशेष रूप से संवेदनशील प्रकृति के रक्षा मामलों पर रिपोर्ट करते समय।
लेफ्टिनेंट
जनरल (सेवानिवृत्त) एन एस बराड़ ने राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा बलों से
संबंधित मामलों पर सार्वजनिक डोमेन में सामान्य बहस की आवश्यकता पर बल
दिया। इस प्रकार, उच्च रक्षा प्रबंधन के मुद्दों पर सरकार और रक्षा बलों के
बीच बार-बार घनिष्ठ इंटरफेस की आवश्यकता है।
रक्षा
बलों के लिए निधि आवंटन पर लेफ्टिनेंट जनरल एन एस बराड़ ने कहा कि मीडिया
को वार्षिक बजट में धनराशि के पर्याप्त आवंटन के लिए केंद्र सरकार पर दबाव
डालने हेतु इस संबंध में जनता की राय को बढ़ाने में आगे आना चाहिए।
इस
मौके पर शख्सियतों का विचार था कि मीडिया के साथ नियमित तौर पर
विचार-विमर्श होना चाहिए जिससे गलत धारणाओं को ख़त्म किया जा सके। उनका यह
भी विचार था कि फ़ौजी मामलों पर रिपोर्टिंग ज़्यादा तथ्य भरपूर होनी चाहिए
जिससे एक तरफ़ इसकी भरोसे योग्यता को यकीनी बनाया जा सके और दूसरीे तरफ़
राष्ट्रीय सुरक्षा के असली उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।
सशस्त्र
सेनाओं की वीरता को दर्शाने में सिनेमा की भूमिका पर जिक्र करते हुए पैनल
के अधिकारियों और दर्शकों ने हकीकत, बॉर्डर, लक्ष्य और हाल ही में रिलीज
हुई ‘पल्टन’ जैसी फिल्मों के निर्माण में बॉलीवुड के योगदान की सराहना की
है जिसमेेें हमारे सैनिकों के साहस को दिखाया गया है। परन्तु विशेषज्ञों
ने कहना है कि भारतीय सिनेमा युद्ध के वास्तविक पहलुओं का कम आंकलन करके
उसे जनता के लिए और अधिक मनोरंजन भरपूर बना करलोगों की भावनाओं और
संवेदनाओं के साथ खिलवाड़ करता है। जबकि पश्चिमी सिनेमा का उद्देश्य
वास्तविकता प्रस्तुत करना है और यह यकीनी बनाना है कि उनकी युद्ध पर आधारित
फिल्मों की प्रामाणिकता बनी रहे जैसा कि ‘फ्यूरी’, ‘सेविंग द प्राईवेट
रियान’ आदि फिल्मों में दिखाया गया है।
चर्चा
में भाग लेतेे हुए जेपी दत्ता द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म ‘पल्टन’ के
अभिनेता सोनू सूद और सह-कलाकार गुरमीत चौधरी ने 1967 के भारत-चीन की घटना
पर आधारित एक्शन और युद्ध पर नाटक संबंधी थोड़ी सी जानकारी दी। सोनू ने कहा
कि फिल्म में वास्तविक समय के युद्ध के हालात को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत
किया गया है। इस प्रकार देशवासियों, विशेषत: युवाओं में राष्ट्रवाद की
भावना को पैदा करने के लिए भारतीय सैनिकों की देशभक्ति भावना को दर्शाया
गया है।
इस
सैशन के दौरान कई सेवारत और सेवानिवृत्त मिलिट्री अधिकारियों,
इतिहासकारों, विदेशी मिलिट्री प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और छात्रों ने
सक्रिय रूप से भाग लिया।