चंडीगढ़ 12 जनवरी:
अपनी
वार्षिक गुप्त रिपोर्ट को ठीक करवाने के लिए पंजाब सरकार और वन विभाग को फर्जी
प्रशंसा पत्र सौंपने के दोष के तहत पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने गहरी जांच के आधार पर
वनपाल, अनुसंधान सर्कल, होशियारपुर हर्ष कुमार, आई.एफ.एस.
और पलटा इंजीनियरिंग वर्कस प्राईवेट लिमटिड, फोकल प्वाइंट,
जालंधर
के डायरैक्टर अजय पलटा के खि़लाफ़ विजीलैंस ब्यूरो के थाना मोहाली में धारा 420,
465, 467, 468, 471, 474, 120-बी आई.पी.सी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करके आगामी
कार्यवाही आरंभ कर दी है।
आज
यहां यह जानकारी देते हुए विजीलैंस ब्यूरो के एक प्रवक्ता ने बताया कि कुलदीप
कुमार लोमिस प्रधान प्रमुख वनपाल ने हर्ष कुमार की वर्ष 2014 -15 की
वार्षिक गुप्त रिपोर्ट लिखते समय उसके बारे में कुछ प्रतिकूल कथन दर्ज किये थे और
इस विषय सम्बन्धित हर्ष कुमार ने एक प्रार्थना-पत्र वन मंत्री पंजाब को पेश होकर
दिया था जिससे उसने प्रशंसा-पत्र तारीख़ 04.05.2015 (जो अतिरिक्त
प्रमुख चीफ़ कंजरवेटर, वन (विकास), एस.ए.एस. नगर,
पंजाब
को भेजा जाना दिखाया गया) की फोटो कापी भी प्रार्थना-पत्र के साथ संलग्न की थी।
बाद
में प्रशंसा-पत्र की जांच के दौरान पाया गया कि प्रशंसा-पत्र नंबर 100 /सी
/2008 /1389 तारीख़ 04.05.2015 डा. अशोक कुमार
साईंटिस्ट-एफ, जेनेटिक और वृक्ष उत्पत्ति, वन
अनुसंधान संस्था देहरादून (उत्तराखंड) द्वारा जारी ही नहीं किया गया। वास्तव में
यह प्रशंसा-पत्र वन और वन्य जीव सुरक्षा पंजाब के प्रमुख सचिव कार्यालय में तारीख़
11.05.2015 को प्राप्त हुआ। जिसके बाद कुलदीप कुमार लोमिस द्वारा इस पत्र की
तस्दीक करवाने पर देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्था ने स्पष्ट किया कि यह
प्रशंसा-पत्र उसकी तरफ से जारी ही नहीं हुआ और न ही डिसपैच किया गया जबकि मुलजिम
हर्ष कुमार वनपाल, विजय कुमार वन रेंज अफ़सर, अनुसंधान
सर्कल, होशियारपुर और प्राईवेट व्यक्ति अजय पलटा ने विजीलैंस जांच के दौरान
अपने हलफीया बयान में यह बताया कि तारीख़ 04.05.2015 को यह पत्र डा.
अशोक कुमार, साईंटिस्ट ने देहरादून संस्था में ख़ुद टाईप
करके हर्ष कुमार और अजय पलटा की हाजऱी में विजय कुमार को दिया था।
प्रवक्ता
ने बताया कि जांच में पाया गया कि तारीख़ 04.05.2015 को बुद्ध
पुर्णिमा की छुट्टी होने के कारण उक्त संस्था का दफ़्तर बंद था और छुट्टी वाले दिन
इस इंस्टीट्यूट के प्रमुख से मंजूरी लेकर ही यह दफ़्तर खोला जा सकता था परन्तु ऐसी
कोई भी मंजूरी नहीं मिली। इसके अलावा हर्ष कुमार और उसके साथियों द्वारा तारीख़ 04.05.2015 को
गाड़ी नं. पी.बी.-08 सी.एच -7565 में सवार होकर
देहरादून संस्था में जाने का बयान किया गया परन्तु उस दिन इस गाड़ी के इंस्टीट्यूट
में दाखि़ल होने संबंधी फाटकों पर लगे प्रविष्टि रजिस्टरों में कोई इंदराज होना भी
नहीं पाया गया। साथ ही जांच प्रयोगशाला (एफ.एस.एल.) की रिपोर्ट के मुताबिक उक्त
विवादित प्रशंसा-पत्र पर किये हुए हस्ताक्षर अशोक कुमार, साईंटिस्ट के
नहीं हैं और यह पत्र अशोक कुमार, साईंटिस्ट द्वारा इस्तेमाल की जाने
वाली कंम्प्यूटर की हार्डडिस्क में भी नहीं मिला।
उन्होंने
कहा कि इसके अलावा डा. अशोक कुमार तारीख़ 21.12.2016 को साईंटिस्टों
की ई -लिस्ट से एफ-लिस्ट में परमोट हुआ है जबकि तारीख़ 04.05.2015 को
जारी हुए प्रशंसा-पत्र में उसे साईंटिस्ट-एफ दिखाया हुआ है। डा. अशोक कुमार के
असली लेटर हैड में हरे रंग का लॉगो है परन्तु इस प्रशंसा-पत्र में छपा लॉगो का रंग
काला है। विजीलैंस जांच के दौरान हर्ष कुमार द्वारा अपने मोबाइल फ़ोन नं. 94170
-13693 का बिल पेश किया गया जिसमें उसने डा. अशोक कुमार के साथ तारीख़ 04.05.2015 को
नेशनल रोमिंग के दौरान हुई बातचीत की इनकमिंग और आऊटगोइंग कालों का विवरण दिया था
परन्तु इस मोबाइल फ़ोन के बिल को देखने पर पाया गया कि हर्ष कुमार तारीख़ 05.05.2015 और
06.05.2015 को हरियाणा और दिल्ली के इलाकों में मौजूद रहा जबकि यह प्रशंसा-पत्र
तारीख़ 04.05.2015 की पर्त नं. 3, जो कंजरवेटर ऑफ
फारेस्ट, रिर्सच एंड प्रशिक्षण सर्कल, होशियारपुर में प्राप्त हुआ बताया गया
है और उस पर हर्ष कुमार ने तारीख़ 06.05.2015 को अपने स्वयं
लिखकर यह नोट दिया कि यह प्रशंसा-पत्र विजय कुमार, वन रेंज अफ़सर
द्वारा उसके आगे पेश किया गया।
प्रवक्ता
के अनुसार उधर जतिन्दर शर्मा, प्रधान प्रमुख वनपाल, पंजाब
ने लिखित रूप में बताया कि यह पत्र तारीख़ 04.05.2015 न तो उनके
दफ़्तर और न ही यह पत्र अतिरिक्तप्रधान प्रमुख वनपाल (विकास) के दफ़्तर में
प्राप्त हुआ है। उक्त जांच के आधार पर विजीलैंस ने यह पाया कि हर्ष कुमार वनपाल,
अनुसंधान
सर्कल, होशियारपुर द्वारा अपने साथियों विजय कुमार, वन रेंज अफ़सर,
अनुसंधान
सर्कल, होशियारपुर (मृतक) और अजय पलटा डायरैक्टर, पलटा
इंजीनियरिंग वर्कस प्राईवेट, फोकल प्वाइंट, जालंधर के साथ
मिलकर बदनीयती से अपने आप को लाभ पहुँचाने और अपने विरुद्ध प्रतिकूल कथनों को
कवरअप करने के लिए फज़ऱ्ी और जाली प्रशंसा- पत्र तैयार करके प्रयोग में लाया गया
है, इसलिएदोनों मुलजिमों के खि़लाफ़ पर्चा दर्ज किया गया है।
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