वोटां वेले बापू कहेंदे, मुडक़े साडी सार नी लैंदे : ढोसीवाल

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 - एस.सी./बी.सी. समाज को सुचेत रहने की अपील -

वोटां वेले बापू कहेंदे, मुडक़े साडी सार नी लैंदे : ढोसीवाल
जगदीश राय ढोसीवाल।

श्री मुक्तसर साहिब, 25 नवंबर -
 पंजाब में एस.सी./बी.सी. वर्ग से संबंधित लोगों की संख्या करीब 70 प्रतिशत के नजदीक है। परंतु समाज के इतने बड़े हिस्से को अक्सर अनदेखा किया जाता है। रिजर्वेशन को सही ढंग से लागू नहीं किया जाता। समय पर न तो वजीफा दिया जाता है और न ही किताबें दी जाती हैं। शगन स्कीम के केस कई-कई वर्ष लटकते रहते हैं। एस.सी./बी.सी. समाज से संबंधित वोटर चुनाव में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। चुनाव समय हर राजनीतिक पार्टी को इस वर्ग की याद आती है। वोटें बटोरने के लिए राजनीतिक पार्टियों की बाज़ आँख इस बड़े वोट बैंक की तरफ रहती है। चुनाव समय इस वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों और अन्य सुविधाओं के एलानों का पिटारा खोल दिया जाता है। कई तरह के चुनाव वायदों से इस वर्ग को भरमाया जाता है। इतना ही नहीं राजनीतिक पार्टियों को चुनाव समय इस एस.सी./बी.सी. समाज से संबंधित व्यक्तियों की याद आती है, उनके घरों-मुहल्लों में गेडिय़ां लगाई जाती हैं। इस समाज के धार्मिक संतों, महां पुरूषों और गुरूओं को याद किया जाता है, डेरों, गुरूद्वारों और मंदिरों में हाजरी लगवाने के बहाने एस.सी./बी.सी. समाज के हितैशी होने का दावा किया जाता है। एल.बी.सी.टी. (लार्ड बुद्धा चैरीटेबल ट्रस्ट) के चेयरमैन और आल इंडिया एस.सी./बी.सी./एस.टी. एकता भलाई मंच के राष्ट्रीय प्रधान दलित रत्न जगदीश राय ढोसीवाल ने राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनाव के बिल्कुल नजदीक रचाए जाते उक्त ढकवंज को वोट बटोरने की कोझी चाल बताया है। आज अपने निवास स्थान बुद्ध विहार स्थित श्री ढोसीवाल ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों के लोग इस समाज को चुनाव समय तो बापू कहते हैं और चुनाव के बाद अपना उल्लू सीधा होने उप्रांत उनकी सार नहीं लेते। प्रधान ढोसीवाल ने एस.सी./बी.सी. समाज के लोगों को चुनाव समय मौका प्रस्त राजनीतिक पार्टियों द्वारा उक्त सोशेबाज़ी और मतलब खोरी से सुचेत रहने की अपील की है। उन्होंने आगे कहा है कि दुनिया के महान विद्वान देश के संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहिब डॉ. भीम राव अंबेडकर द्वारा लंबे संघर्ष उप्रांत जो वोट का अधिकार दिया गया है उसका सही उपयोग करना चाहिए। किसी भी लालच यां किसी राजनीतिक पार्टी के झांसे में आकर अपनी वोट का दुर्पयोग नहीं करना चाहिए और ऐसी पार्टियों को मूंह नहीं लगाना चाहिए। अपनी वोट का सही उपयोग करके ही सही मायनों में सच्चे लोकतंत्र की स्थापना की जा सकती है।  

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