राज्य भर में बिजली संकट टालने के लिए आवश्यकता के अनुसार कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए - चन्नी

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कृषि क्षेत्र को अपेक्षित बिजली सप्लाई करने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई

राज्य भर में बिजली संकट टालने के लिए आवश्यकता के अनुसार कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए - चन्नी

चंडीगढ़, 9 अक्टूबर:

कोल इंडिया लिमिटेड की अलग-अलग सहायक कंपनियों द्वारा पंजाब राज्य बिजली निगम लिमिटेड के समझौतों के मुताबिक कोयले की अपेक्षित सप्लाई ना करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आज निर्धारित किए गए कोयले के मुताबिक राज्य के लिए कोयले की सप्लाई तुरंत बढ़ाने की अपील की है, जिससे बिजली संकट पर काबू पाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोयले के भंडार घटने के कारण राज्य के थर्मल प्लांट बंद हो सकते हैं, क्योंकि अगले कुछ दिनों में मौजूद भंडार भी ख़त्म होने की संभावना है।

राज्य की बिजली की स्थिति का जायज़ा लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयले की उचित सप्लाई ना मिलने के कारण सभी थर्मल प्लांट पूरी क्षमता के साथ बिजली उत्पादन करने के योग्य नहीं। हालाँकि, मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि जहाँ भी धान की फ़सल पकने तक सिंचाई के लिए बिजली की ज़रूरत है, वहां सप्लाई को सुनिश्चित बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहरों और गाँवों में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली कट लगाए जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र के लिए उचित बिजली सप्लाई सुनिश्चित बनाने के साथ-साथ ग्रिड अनुशासन को कायम रखा जा सके।

इससे पहले चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरैक्टर ए. वेनू प्रसाद ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि देश भर में थर्मल प्लांट कोयले की कमी और कोयले की सप्लाई के संकट में से गुजऱ रहे हैं। राज्य में प्राईवेट बिजली निर्माता (आई.पी.पी.) के पास कोयले का स्टॉक दो दिन से भी कम बचा है, जिनमें नाभा पावर प्लांट (1.9 दिन), तलवंडी साबो प्लांट (1.3 दिन), जी.वी.के. (0.6 दिन) और यह लगातार कम हो रहा है, क्योंकि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा ज़रूरत के मुताबिक कोयले की सप्लाई नहीं की गई। पी.एस.पी.सी.एल. के प्लांट जिनमें गुरू गोबिन्द सिंह सुपर थर्मल प्लांट, रोपड़ और गुरू हरगोबिन्द थर्मल प्लांट, लहरा मोहब्बत शामिल हैं, के पास सिफऱ् दो दिन का स्टॉक है और रोज़ कम हो रहा है। इन सभी प्लांटों के पास इंडिया की सहायक कंपनियों द्वारा इनके साथ हुए फ्यूल सप्लाई समझौतों के अंतर्गत कोयले की सप्लाई दी जाती है, परन्तु इस समय पर सप्लाई ज़रुरी स्तर से भी बहुत कम है।

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